1 | 1 | थोड़ो खाइ तो कलपै-झलपै, घणो खाइलै रोगी । | 1 | योगी जालन्धर नाथजी की वाणी |
2 | 1 | अवधू रहिबा हाटे बाटे, रूख-बिरख की छाया । | 2 | योगी मत्स्येन्द्र नाथजी महाराज की वाणी |
3 | 1 | बस्ती न शुन्यं शुन्यं न बस्ती, अगम अगोचर ऐसा । | 3 | महायोगी गोरखनाथजी महाराज की वाणी |
4 | 2 | हँसिबा खेलिबा धरिबा ध्यान, अहनिसि कथिबा ब्रह्मज्ञान । | 3 | महायोगी गोरखनाथजी महाराज की वाणी |
5 | 1 | लम्बा मारग दूरि घर, विकट पंथ बहु मार । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
6 | 2 | अनहद बाजै नीझर झरै, उपजै ब्रह्म गियान । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
7 | 3 | संपटि माँहिं समाइया, सो साहिब नहिं होइ । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
8 | 4 | नैना बैन अगोचरी, श्रवनां करनी सार । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
9 | 5 | बाबा जोगी एक अकेला, जाकै तीर्थ व्रत न मेला ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
10 | 6 | राम निरंजन न्यारा रे, अंजन सकल पसारा रे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
11 | 7 | अंजन अलप निरंजन सार, यहै चीन्हि नर करहु विचार ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
12 | 8 | अलख निरंजन लखै न कोई । निरभै निराकार है सोई ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
13 | 9 | भगति हेत गावै लै लीनां । ज्यूँ वन नाद कोकिला कीन्हां ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
14 | 10 | साँच सील का चौका दीजै। भाव भगति की सेवा कीजै ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
15 | 11 | कबीर मेरी सिमरनी, रसना ऊपरि राम । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
16 | 12 | सेख सबूरी बाहरा, क्या हज काबै जाइ । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
17 | 13 | हरि महि तनु है तनु महि हरि है, सर्व निरंतर सोई रे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
18 | 14 | कहत कबीर अवर नहिं कामा। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
19 | 15 | गुरु मिलि ताके खुले कपाट । बहुरि न आवै योनी बाट ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
20 | 16 | सुन्न संध्या तेरी देव देवा, करि अधिपति आदि समाई । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
21 | 17 | मैं तो आन पड़ी चोरन के नगर, सतसंग बिना जिय तरसे । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
22 | 18 | साधो सब्द साधना कीजै । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
23 | 19 | जिनकी लगन गुरू सों नाहीं ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
24 | 20 | गगन की ओट निसाना है ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
25 | 21 | भक्ती का मारग झीना रे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
26 | 22 | बिन सतगुरु नर रहत भुलाना | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
27 | 23 | अपने घट दियना बारु रे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
28 | 24 | साधो भाई जीवत ही करो आसा ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
29 | 25 | मोरे जियरा बड़ा अन्देसवा, मुसाफिर जैहो कौनी ओर ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
30 | 26 | अवधू भूले को घर लावै, सो जन हमको भावै ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
31 | 27 | ससी परकास तें सूर ऊगा सही, तूर बाजै तहाँ सन्त भूलै । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
32 | 28 | मन तू मानत क्यों न मना रे । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
33 | 29 | जाके नाम न आवत हिये ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
34 | 30 | पाँच पचीस करे बस अपने, करि गुरु ज्ञान छड़ी । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
35 | 31 | अपनपौ आपुहि तें बिसरो ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
36 | 32 | अस सतगुरु बोले सतबानी । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
37 | 33 | कबीर महिमा नाम की, कहना कही न जाय । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
38 | 34 | प्रथम एक सो आपै आप । निराकार निर्गुन निर्जाप ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
39 | 35 | कहै कबीर विचारि के, तब कछु किरतम नाहिं । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
40 | 36 | सखिया वा घर सबसे न्यारा, जहँ पूरन पुरुष हमारा ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
41 | 37 | जो कोइ निरगुन दरसन पावै ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
42 | 38 | बिनु गुरु ज्ञान नाम नहिं पैहो, मिरथा जनम गँवाई हो ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
43 | 39 | छैल चिकनियाँ अभै घनेरे, छका फिरै दीवाना । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
44 | 40 | कोई चतुर न पावे पार, नगरिया बावरी ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
45 | 41 | विमल विमल अनहद धुनि बाजै | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
46 | 42 | जानता कोइ ख्याल ऐसा, जानता कोइ ख्याल ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
47 | 43 | गुरुदेव बिन जीव की कल्पना ना मिटै, | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
48 | 44 | गुरुदेव के भेद को जीव जानै नहीं, | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
49 | 45 | रैन दिन संत यों सोवता देखता, | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
50 | 46 | लोका मति का भोरा रे । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
51 | 47 | श्रूप अखण्डित व्यापी चैतन्यश्चैतन्य । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
52 | 48 | बाबा अगम अगोचर कैसा, तातें कहि समझाओ ऐसा ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
53 | 49 | गुरु साहब करि जानिये, रहिये सब्द समाय । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
54 | 50 | गुरु सीढ़ी तें ऊतरै, सब्द बिहूना होय । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
55 | 51 | घर में घर दिखलाय दे, सो सतगुरु संत सुजान । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
56 | 52 | नाद विन्दु तें अगम अगोचर, पाँच तत्त्व तें न्यार । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
57 | 53 | सर्गुन की सेवा करौ, निर्गुन का करु ज्ञान । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
58 | 54 | आदि नाम पारस अहै, मन है मैला लोह । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
59 | 55 | कबीर सब्द सरीर में, बिन गुन बाजै ताँत । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
60 | 56 | सब्द सब्द बहु अंतरा, सब्द सार का सीर । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
61 | 57 | सब्द सब्द बहु अन्तरा, सार सब्द चित देय । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
62 | 58 | नाम जपत इस्थिर भया, ज्ञान कथत भया लीन । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
63 | 59 | गागर ऊपर गागरी, चोले ऊपर द्वार । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
64 | 60 | पाँचो नौबत बाजती, होत छतीसो राग । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
65 | 61 | भाई कोई सतगुरु संत कहावै । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
66 | 62 | उठि पछिलहरा पिसना पीस ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
67 | 63 | जियत न मार मुआ मत लैयो, मास बिना मत ऐयो रे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
68 | 64 | फल मीठा पै ऊँचा तरवर, कौनि जतन करि लीजै । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
69 | 65 | रस गगन गुफा में अजर झरै ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
70 | 66 | झीनी-झीनी बीनी चदरिया।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
71 | 67 | है कोई गुरु ज्ञान पंडित, उलटि वेद बूझे । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
72 | 68 | कोई देखो लोगो नैया बीच, नदिया डूबी जाय ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
73 | 69 | गगन गरजि बरसे अमी, बादल गहिर गम्भीर । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
74 | 70 | ठगिनी क्या नैना चमकावे, कबिरा तेरे हाथ न आवे ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
75 | 71 | अवधू सो जोगी गुरु मेरा, या पद का जो करै निबेरा ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
76 | 72 | कोई सुनता है गुरु ज्ञानी, गगन में आवाज होती झीनी ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
77 | 73 | साईं ने पठाया, न्यामत हू मत लाना ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
78 | 74 | संतो भक्ति सतोगुर आनी । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
79 | 75 | साधो यह तन ठाठ तँबूरे का ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
80 | 76 | अँखियाँ लागि रहन दो साधो, हिरदे नाम सम्हारा । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
81 | 77 | बागों ना जा रे ना जा, तेरे काया में गुलजार ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
82 | 78 | सन्त जन करत साहिबी तन में ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
83 | 79 | वारी जाऊँ मैं सद्गुरु के, मेरा किया भरम सब दूर ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
84 | 80 | सन्तौ अचरज भौ इक भारी, पुत्र धइल महतारी ।। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
85 | 81 | कबीर गुरु की भक्ति कर, तजि विषया रस चौज । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
86 | 82 | मुरशिद नैनों बीच नबी है । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
87 | 83 | उठा बगूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
88 | 84 | लव लागी तब जानिये, छूटि कभूँ नहिं जाय । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
89 | 85 | उनमुनि चढ़ी अकास को, गई धरनि से छूटि । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
90 | 86 | भाइ रे नयन रसिक जो जागे । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
91 | 87 | संतो जागत नींद न कीजै । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
92 | 88 | ये ततु राम जपहु रे प्रानी, तुम बूझहु अकथ कहानी । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
93 | 89 | संतो कहौं तो को पतिआई । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
94 | 90 | संतो आवै जाय सो माया । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
95 | 91 | संतो मते मातु जन रंगी । | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
96 | 92 | अबधू छाड़हु मन विस्तारा। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
97 | 93 | चुअत अमीरस भरत ताल, जहाँ शब्द उठे असमानी हो। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
98 | 94 | अरे दिल गाफिल गफलत मत कर, | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
99 | 95 | मन तू थकत थकत थकि जाई। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
100 | 96 | ऐसी बानी बोलिये, मन का आपा खोय। | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
101 | 97. | सतगुरु सोई दया करि दीन्हा, तातें अनचिन्हार मैं चीन्हा | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
102 | 98. | गगन घटा घहरानी साधो, गगन घटा घहरानी | 4 | संत कबीर साहब की वाणी |
103 | 1 | काइआ नगरु नगर गड़ अंदरि। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
104 | 2 | तारा चड़िया लंमा किउ नदरि निहालिआ राम।। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
105 | 3 | जोगु न खिंथा जोग न डंडै जोगु न भसम चड़ाईअै । | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
106 | 4 | सुनि मन भूले बावरे, गुरु की चरणी लागु। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
107 | 5 | मोहु कुटंबु मोहु सभकार। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
108 | 6 | अनहदो अनहदु बाजै, रुण झुणकारे राम। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
109 | 7 | अलख अपार अगम अगोचरि, ना तिसु काल न करमा। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
110 | 8 | जतु सतु संजमु साचु द्रिड़ाइआ, साच सबदि रसि लीणा। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
111 | 9 | अउहठि हसत मड़ी घरु छाइआ धरणि गगन कल धारि।। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
112 | 10 | काम क्रोध परहरु पर निन्दा, | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
113 | 11 | दुविधा बउरी मनु बउराइआ। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
114 | 12 | सागर महि बूंद बूंद महि सागरु, कबणु बुझै विधि जाणै। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
115 | 13 | नदरि करे ता सिमरिआ जाई। आत्मा द्रवै रहै लिवलाई।। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
116 | 14 | घर महि घरु देखाइ देइ, सो सतगुरु परखु सुजाणु। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
117 | 15 | हम घरि साजन आए। साचै मेलि मिलाए।। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
118 | 16 | जैसे जल महि कमलु निरालमु, मुरगाई नैसाणै। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
119 | 17 | बिनु सतिगुर सेवे जोगु न होई । | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
120 | 18 | ज्ञान बोलै आपै बूझै, आपै समझै आपै सूझै। | 5 | गुरु नानक साहब की वाणी |
121 | 1 | निराधार निज देखिये, नैनहु लागा बन्द। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
122 | 2 | नैनहुँ आगें देखिये, आतम अन्तर सोइ। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
123 | 3 | अनहद बाजे बाजिये, अमरापुरी निवास। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
124 | 4 | सबद अनाहद हम सुन्या, नख सिख सकल सरीर। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
125 | 5 | सबदैं सबद समाइले, पर आतम सों प्राण। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
126 | 6 | दृष्टै दृष्टि समाइले, सुरतैं सुरत समाइ। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
127 | 7 | जोग समाधि सुख सुरति सौं, सहजै सहजै आव। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
128 | 8 | सहज सुन्नि मन राखिये, इन दुन्यूँ के माहिं। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
129 | 9 | सुन्नहिं मारग आइया, सुन्नहिं मारग जाइ। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
130 | 10 | सुरत समाइ सनमुख रहै, जुगि जुगि जन पूरा। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
131 | 11 | दादू उलटि अपूठा आप में, अंतरि सोधि सुजाण। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
132 | 12 | सुरति अपूठी फेरि कर, आतम माहैं आण। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
133 | 13 | सुरति सदा सनमुख रहै, जहाँ तहाँ लैलीन। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
134 | 14 | सुरति सदा स्यावित रहै, तिनके मोटे भाग। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
135 | 15 | सब काहू को होत है, तन मन पसरै जाइ । | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
136 | 16 | नीके राम कहतु है बपुरा।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
137 | 17 | जोगिया बैरागी बाबा। रहै अकेला उनमनि लागा ।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
138 | 18 | मेरा मन के मन सौं मन लागा। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
139 | 19 | आरती जग जीवन तेरी। तेरे चरन कँवल पर वारी फेरी ।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
140 | 20 | दादू जानै न कोई, सन्तन की गति गोई ।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
141 | 21 | सतसंगति मगन पाइये। गुर परसादैं राम गाइये।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
142 | 22 | आप आपण में खोजौ रे भाई। वस्तु अगोचर गुरू लखाई।। | 6 | संत दादू दयालजी की वाणी |
143 | 1 | ऐसा देश दिवाना रे लोगो, जाय सो माता होय। | 7 | सन्त चरणदासजी की वाणी |
144 | 2 | मनुवाँ राम के व्यापारी | 7 | सन्त चरणदासजी की वाणी |
145 | 3 | जीवित मर जाय, उलट आप में समाय, | 7 | सन्त चरणदासजी की वाणी |
146 | 1 | चल सूआ तेरे आद राज। | 8 | संत दरिया साहब (मारवाड़ी) की वाणी |
147 | 1 | झकझक्क लगा झकझक्क लगा रिमिझिमि का नुर | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
148 | 2 | जाके अनभो आगि लगी। | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
149 | 3 | काया गढ़ कनक मन रावना मद है, | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
150 | 4 | सन्तो साधु लच्छन निज बरना। | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
151 | 5 | याफ्रत तदबीर है दिल के बीच में, | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
152 | 6 | सन्तो सुमिरहु निर्गुन अजर नाम। | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
153 | 7 | जानिले जानिले सत्त पहिचानि ले | 9 | सन्त दरिया साहब (बिहारी) की वाणी |
154 | 1 | मन जब मगन भा मस्ताना। | 10 | सन्त जगजीवन साहब की वाणी |
155 | 1 | गंगा पाछे को वही, मछरी चढ़ी पहाड़।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
156 | 2 | भजन आतुरी कीजिये और बात में देर।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
157 | 3 | उलटा कुआँ गगन में, तिसमें जरै चिराग।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
158 | 4 | सुर नर मुनि जोगी यती सभै काल बसि होय।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
159 | 5 | हमने बातें तहकीक किया, सबमें साहब भरपूर है जी।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
160 | 6 | आठ पहर निरखत रहै जैसे चन्द चकोर।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
161 | 7 | हाथी घोड़ा खाक है, कहै सुनै सो खाक।। | 11 | सन्त पलटू साहब की वाणी |
162 | 1 | तन खोजै तब पावै रे। | 12 | संत गरीब दासजी की वाणी |
163 | 1 | जागु जागु आतमा, पुरान दाग धोउ रे। | 13 | सन्त दूलन दासजी की वाणी |
164 | 1 | ब्रह्म में जगत यह ऐसी विधि देषियत, | 14 | संत सुन्दरदासजी की वाणी |
165 | 2 | एक ब्रह्म मुख सूँ बनाय करि कहत हैं, | 14 | संत सुन्दरदासजी की वाणी |
166 | 3 | काक अरु रासभ, उलूक जब बोलत हैं, | 14 | संत सुन्दरदासजी की वाणी |
167 | 1 | ऐसी आरती राम की करहि मन, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
168 | 2 | हिय निर्गुन नयनन्हि सगुन, रसना राम सुनाम । | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
169 | 3 | ज्ञान कहै अज्ञान बिनु, तम बिनु कहै प्रकास । | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
170 | 4 | पात पात कै सींचवो, बरी बरी के लोन । | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
171 | 5 | केशव कही न जाइ का कहिये । | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
172 | 6 | देहि सत्संग निज अंग श्रीरंग, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
173 | 7 | असुर सुर नाग नर जच्छ गन्धर्व खग, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
174 | 8 | वृत्र बलि प्रह्लाद मय व्याध गज, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
175 | 9 | सान्त निरपेच्छ निर्मम निरामय अगुन, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
176 | 10 | बिस्व उपकार हित व्यग्र चित सर्वदा, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
177 | 11 | वेद पय सिन्धु सुविचार मन्दर महा, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
178 | 12 | सोक सन्देह भय हर्ष तम तर्ष गन, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
179 | 13 | जत्र कुत्रपि मम जन्म निज कर्म बस, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
180 | 14 | प्रबल भव जनित त्रय व्याधि भैषज भक्ति, | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
181 | 15 | जौं तेहि पन्थ चलइ मन लाई। | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
182 | 16 | पावइ सदा सुख हरि कृपा, संसार आसा तजि रहै । | 15 | गोस्वामी तुलसीदासजी महाराज की वाणी |
183 | 1 | अपने जान मैं बहुत करी। | 16 | सन्त सूरदासजी की वाणी |
184 | 2 | ताते सेइये यदुराई । | 16 | सन्त सूरदासजी की वाणी |
185 | 3 | जो मन कबहुँक हरि को जाँचै। | 16 | सन्त सूरदासजी की वाणी |
186 | 4 | जौं लौं सत्य स्वरूप न सूझत। | 16 | सन्त सूरदासजी की वाणी |
187 | 1 | सुरति सिरोमनि घाट, गुमठ मठ मृदंग बजै रे ।। | 17 | सन्त तुलसी साहब की वाणी |
188 | 2 | अजब अनार दो बहिश्त के द्वार पै । | 17 | सन्त तुलसी साहब की वाणी |
189 | 3 | आरति संग सतगुरु के कीजै। | 17 | सन्त तुलसी साहब की वाणी |
190 | 4 | पैठ मन पैठ दरियाव दर आप में, | 17 | सन्त तुलसी साहब की वाणी |
191 | 5 | स्त्रुति चढ़ि गई अकाश में, सोर भया ब्रह्मण्ड ।। | 17 | सन्त तुलसी साहब की वाणी |
192 | 1 | राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ? | 18 | सन्तप्रवर रैदासजी की वाणी |
193 | 1 | भ्रमत फिरत बहु जनम बिलाने, | 19 | सन्त धन्ना भगतजी की वाणी |
194 | 1 | तेरा मैं दीदार दीवाना। | 20 | सन्त मलूक दासजी की वाणी |
195 | 2 | अब मैं अनुभव पदहि समाना । | 20 | सन्त मलूक दासजी की वाणी |
196 | 3 | रस रे निर्गुन राग से, गावै कोइ जाग्रत जोगी । | 20 | सन्त मलूक दासजी की वाणी |
197 | 1 | उठ्यो दिल अनुमान हरि ध्यान।। | 21 | सन्त भीखा साहब की वाणी |
198 | 2 | धुनि बाजत गगन महँ वीणा। जहाँ आपु रास रस भीना ।। | 21 | सन्त भीखा साहब की वाणी |
199 | 3 | करो विचार निर्धार अवराधिये, सहज समाधिऽ मन लाव भाई । | 21 | सन्त भीखा साहब की वाणी |
200 | 1 | मुरलिया बाज रही, कोई सुने सन्त धर ध्यान । | 22 | सन्त राधास्वामी साहबजी की वाणी |
201 | 1 | निर्गुण ब्रह्म है न्यारा कोई, समझो समझन हारा ।। | 23 | जैन सन्त श्रीसिंगा साहब की वाणी |
202 | 1 | मदिया मैं पियबौं बनाइ, मैं कलवारिन होयबौं ।।1।। | 24 | बाबा कीनारामजी की वाणी |
203 | 1 | रे भाई! गैबी मरद सो न्यारे, वे ही अल्ला के प्यारे ।। | 25 | समर्थ स्वामी रामदासजी की वाणी |
204 | 1 | ध्यान लगावहु त्रिकुटी द्वार। गहि सुषमना बिहंगम सार ।। | 26 | सन्त शाह फकीरजी की वाणी |
205 | 1 | सब दानव देव पुनंग कहा, यह धर्म है चारूँ बरण का रे । | 27 | सन्त सेवग दासजी की वाणी |
206 | 1 | गोला मारै ज्ञान का, सन्त सिपाही कोय । | 28 | स्वामी निर्भयानंदजी की वाणी |
207 | 1 | अब मैं हरि बिन और न जाँचू, भजि भगवंत मगन ह्वै नाचूँ । | 29 | सन्त स्वामी हरिदासजी (हरि पुरुषजी) की वाणी |
208 | 1 | जो नर दुःख में दुःख नहिं मानै। | 30 | गुरु तेगबहादुरजी की वाणी |
209 | 1 | सोई जागै रे सोई जागै रे। राम नाम ल्यो लागै रे ।। | 31 | संत बखनाजी की वाणी |
210 | 1 | लागी मोहि राम खुमारी हो।। | 32 | परम भक्तिन मीराबाई की वाणी |
211 | 2 | ऊँची अटरिया लाल किवड़िया, निरगुण सेज बिछी ।। | 32 | परम भक्तिन मीराबाई की वाणी |
212 | 3 | फागण के दिन चार, होरी खेल मना रे ।। | 32 | परम भक्तिन मीराबाई की वाणी |
213 | 4 | गली तो चारों बंद हुई, मैं हरि से मिलूँ कैसे जाय ।। | 32 | परम भक्तिन मीराबाई की वाणी |
214 | 1 | सब क्षेत्र क्षर अपरा परा पर, | 33 | महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की वाणी |
215 | 2 | अव्यक्त अनादि अनंत अजय, अज आदि मूल | 33 | महर्षि मेँहीँ परमहंसजी महाराज की वाणी |